पाई गाउ: इंडियन खेल और उनका संरक्षण

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पाई गाउ: इंडियन खेल और उनका संरक्षण

इंडिया एक ऐसा देश है जिसमे बहुत सारे सांस्कृतिक और ज्ञानी दृश्य हैं, खेलों का चरित्र भी उसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इंडिया में बहुत सारे स्थानीय और राष्ट्रीय खेलों का महत्वपूर्ण आधार है जो इंडिया की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं। लेकिन कुछ खेलों के संरक्षण और प्रसार के लिए दिलचस्प चुनौतियाँ भी हैं।

स्थानीय खेल इंडियाई संस्कृति का एक बड़ा अंग हैं, जैसे कि पोलांगम (संकिरण से एक राष्ट्रीय खेल), कोप्प्पा और मश्तिंग जैसे खेल हैं। ये खेल विशेष संस्कृतियों और परंपराओं से जुड़े हुए हैं और उनकी रक्षा और प्रसार खेलों के साथ-साथ संस्कृति की रक्षा का एक अभिन्न अंग है।

इंडिया के राष्ट्रीय खेलों को भी समान महत्व देना आवश्यक है। खेल क्रीड़ा एक्सेलेंस इंडिया रिज़ोर्ट, जो यांत्रिक रूप से खेल की तैयारी और गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है, इस मुद्दे पर बहुत उचित कार्य कर रहा है। यह रिज़ोर्ट शास्त्रीय खेलों की तैयारी पर ध्यान देता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि इंडिया की खेलियों को आईएफए और विश्व चैंपियनशिपों की तैयारी के लिए अच्छी तरह तैयारी मिलती है।

हालांकि यह दावा नहीं है कि सभी खेलों को बराबर रूप से संरक्षित किया जाता है, न ही कि सभी खेलियाँ बराबर रूप से सहायता प्राप्त कर सकती हैं। इंडियाई खेलों को बराबर रूप से प्रोत्साहित करने के लिए और इंडियाई संस्कृति की बहुताय्याँ और परंपराओं को बचाने के लिए, गरीब और समृद्ध देश के राष्ट्रीय खेलों को समान मान्यता देनी आवश्यक है।

इंडिया के स्वर्ण बादल से जुड़ी हैं जो व्यक्तियों को अपने प्राकृतिक वातावरण की रक्षा करने में मदद करने की गरज को दर्शाता है। इसी तरह, प्रत्येक इंडियाई खेल को उनकी संस्कृति की रक्षा करने में मदद करने की आवश्यकता है।

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